कुड़मी महतो
कुड़मी महतो | |
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भाषा | मूल भाषा-कुड़माली, पंचपरगनिया दूसरी भाषा-हिन्दी, बांग्ला, ओडिया, असमिया, खोरठा |
देश | भारत • बांग्लादेश |
क्षेत्र | झारखण्ड • ओडिशा • पश्चिम बंगाल • असम |
कुड़मी महतो भारत की एक किसान जाति है जो झारखण्ड, ओडिशा, असम और पश्चिम बंगाल राज्य में पाए जाते। इन्हें महतो, कुड़मी, महन्ता, मोहंत के नाम से भी जाना जाता है।[1] अल्पसंख्या में वे बांग्लादेश में भी पाए जाते हैं। कुड़मी महतो लोग बिहारी भाषा समूह से संबंधित एक हिन्द-आर्य भाषा कुड़माली (पंचपरगनिया) भाषा बोलते हैं।[2][3]
वर्तमान समय में कुड़मी महतो को झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल राज्य में अन्य पिछड़ा वर्ग के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
संस्कृति
कुड़मी को बाघबानुयार, पुनरियार, हिन्दोयार, गुलियार, केसरिआर, साँखुआर, कानबिंधा, साँखुआर, काटिआर, डुमरिआर और सिंकुआर आदि कई सारे गुसटि में विभाजित किया गया है। [4][5]
चइत परब, करमा, जितिआ, बाँदना और टुसू परब इनके प्रमुख त्योहार हैं। वे मड़पथान में बुढ़ाबाबा और ग्रामथान में गराम की पूजा करते हैं। झूमइर इनका प्रमुख लोकनृत्य है।[6][7]
इतिहास
श्रेणी विभाग
कुड़मी एक किसान जाति है, जो मुख्य रूप से छोटानागपुर में वास करती है, उत्तर भारत की कुर्मी से भिन्न हैं। महंत (2003) के अनुसार कुड़मी टोटेमवाद का पालन करते हैं जो उन्हें द्रविड़ वंश के रूप में चिह्नित करता है और हर्बर्ट होप रिस्ले द्वारा लिखित पुस्तक द ट्राइब्स एंड कास्ट्स ऑफ बंगाल (1891) के अनुसार, कुड़मी द्रविड़ जनजाति जैसा दिखता है।[8][9][10][11] 1913 में, उन्हें एक आदिम जनजाति के रूप में वर्गीकृत किया गया। फिर 1931 की जनगणना में जनजातियों के रूप में सूचीबद्ध समुदायों की सूची से हटा दिया गया।[12]
वर्तमान में, वे झारखण्ड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा राज्यों में अन्य पिछड़ा वर्ग की सूची में शामिल हैं।[13] 2004 में, झारखंड सरकार ने कुड़मी को अन्य पिछड़ा वर्ग के बजाय अनुसूचित जनजाति के रूप में सूचीबद्ध करने की सिफारिश की। भारत सरकार के जनजातीय अनुसंधान संस्थान ने इस प्रस्ताव को खारिज किया, उन्होंने दावा किया कि कुड़मी कुनबी की ही एक उप-जाति हैं। अतः 2015 में, भारत सरकार ने कुड़मी महतो को अनुसूचित जनजाति के रूप में सूचीबद्ध करने के लिए झारखंड सरकार की सिफारिश को मंजूरी देने से इनकार कर दिया।
अप्रैल 2023 में पश्चिम बंगाल और झारखण्ड के कुड़मी संगठनों ने कुड़मी महतो को अनुसूचित जनजाति दर्जे की मांग पर रेल रोको आंदोलन किया।[14][15]
स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका
कुड़मि महतो समुदाय ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में विभिन्न विद्रोहों में भूमिका निभाई। 1785-1800 में कुड़मी महतो समुदाय अंग्रेजों के खिलाफ चुआड़ विद्रोह में शामिल हुए,[16][17] रघुनाथ महतो उनके प्रमुख नेता थे।[18][19][20] [21][22]
बुली महतो 1831 में कोल विद्रोह के नायकों में से एक थे।[23][24][25][26] चानकु महतो ने गोड्डा जिले में किसान विद्रोहों का नेतृत्व किया।[27] 1915 में असहयोग आंदोलन ने भी सक्रिय रूप से भाग लिया, इस आंदोलन में गोकुल महतो, मोहन महतो, शीतल महतो, सहदेव महतो, गणेश महतो शहीद हुए।[28][29] महात्मा गांधी के सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान गिरीश महतो, नानक चंद्र महतो, गोविंद महतो, दशरथ महतो, चुनाराम महतो, मथन महतो और अन्य को हजारीबाग जेल में कैद किया गया था। पदक चन्द्र महतो को भागलपुर जेल में भी कैद किया गया था। सागर महतो, भजहरी महतो, भीम महतो, सत्यकिंकर महतो, मोहिनी महतो को 1941 में सत्याग्रह करने के लिए कैद किया गया था। फिर 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान सत्यकिंकर महतो को मनबाजार से कैद कर लिया गया था। 1942 में मानबाजार थाने की घेराबंदी के दौरान चुनाराम महतो और गोविंद महतो शहीद हो गए थे। महिलाओं में भाविनी महतो ने प्रमुख भूमिका निभाई। धनबाद के जगदीश महतो ने भी भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई।[30][31][32][33][34]
उल्लेखनीय लोग
- बिनोद बिहारी महतो, पूर्व राजनेता एवं आंदोलनकारी
- निर्मल महतो, पूर्व राजनेता एवं आंदोलनकारी
- पूर्णिमा महतो, भारतीय तीरंदाज
- रघुनाथ महतो, क्रांतिकारी
- बिद्युत बरन महतो, राजनेता
- जगरनाथ महतो, पूर्व राजनेता
- सुनील कुमार महतो, पूर्व राजनेता
- दुलू महतो, राजनेता
- सुमन महतो, राजनेता
- राज किशोर महतो, राजनेता
- साधु चरण महतो, राजनेता
- योगेश्वर महतो, राजनेता
- बीरचंद महतो, राजनेता
- नागेन्द्र महतो, राजनेता
- रवीन्द्र नाथ महतो, राजनेता
- बंशीलाल महतो, राजनेता
- सुधीर महतो, राजनेता
- मृगंक महतो, राजनेता
- जगदीश महतो, राजनेता
- ज्योतिर्मय सिंह महतो, राजनेता
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
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- ↑ Singh, Kumar Suresh (1998). India's Communities: H-M (अंग्रेज़ी में). Oxford University Press. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-19-563354-2.
- ↑ Singh, K. S. (1993). People of India (अंग्रेज़ी में). Anthropological Survey of India. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-19-563352-8.
- ↑ Man in Biosphere: A Case Study of Similipal Biosphere Reserve (अंग्रेज़ी में). Anthropological Survey of India. 2013. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-212-1163-5.
- ↑ Paty, Chittaranjan Kumar (2007). Forest, Government, and Tribe (अंग्रेज़ी में). Concept Publishing Company. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-8069-406-6.
- ↑ Paty, Chittaranjan Kumar (2007). Forest, Government, and Tribe. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9788180694066.
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