दृष्टिमिति
दृष्टिमिति (Optometry) दृष्टि की परिचर्या का विज्ञान है। वर्तन दोष मापने की सभी विधियों में अँधेरे कमरेवाली परीक्षण विधि, जिसे रेटिनादर्शिकी (Retinoscopy) कहते हैं, सर्वोत्तम है। सुविधा की दृष्टि से जाँच की जानेवाली आँख से एक मीटर की दूरी पर ऐसी शक्ति का लेंस रखते हैं कि आँख एक डायोप्टर (dioptre) निकटदृष्टि से (myopia) प्रेरित (induced) हो जाए। कम से कम आधे मीटर की दूरी पर समतल दर्पण का उपयोग करते हुए रेटिनादर्शी का प्रयोग किया जा सकता है, यद्यपि कुछ नेत्र चिकित्सक अब भी ३ मिमी. दृष्टिछिद्र के अवतल दर्पण का उपयोग करते हैं। दो मीटर की दूरी परीक्षण के लिए इसलिए असुविधाजनक है कि जाँच फ्रेम में लेंस की शक्ति बदलने के लिए नेत्र चिकित्सक को हर बार उठना पड़ता है। आधे मीटर के अंतर पर दो डायोप्टर निकट दृष्टि और दो मीटर के अंतर पर ०.५ डायोप्टर निकटदृष्टि आँख में प्रेरित हो जाती है। इसलिए सबसे सुविधाजनक दूरी एक मीटर है। रोगी के दृष्टि वैषम्यदोष का परिणाम ज्ञात करना रेटिनादर्शकी का मुख्य उद्देश्य है।
आजकल पुराने अदीप्त रेटिनादर्शियों की अपेक्षा आत्मदीप्त रेटिनादर्शी का अधिक चलन है। हम रोगी के बुध्न (fundus) पर प्रकाश का उत्क्रमण बिंदु (point of reversal) ज्ञात करते हैं, जो कि प्रेषक के निर्नति बिंदु (nodal point) पर संपतित होता है।
मॉर्टन के नेत्रदर्शी (ophthalmoscope) की अपेक्षा, जिसका उपयोग अब नहीं होता, वैद्युत नेत्रदर्शी द्वारा प्रत्यक्ष नेत्रदर्शन (ophthalmoscopy) अच्छा समझा जाता है। इसी विधि से वर्तन दोष का निर्धारण अब किया जा सकता है।
बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]- World Council of Optometry
- U.S. Bureau of Labor Statistics Optometry Page
- State Optometry Boards
- Eye Health and Vision Care Magazine
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