हथकड़ी (1982 फ़िल्म)
हथकड़ी | |
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हथकड़ी का पोस्टर | |
निर्देशक | सुरेन्द्र मोहन |
लेखक | राम केलकर |
निर्माता | पहलाज निहलानी[1] |
अभिनेता | संजीव कुमार, रीना रॉय, शत्रुघन सिन्हा, राकेश रोशन, रंजीता, प्रेम चोपड़ा |
संगीतकार | बप्पी लहरी |
प्रदर्शन तिथियाँ | 15 जनवरी, 1982 |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
हथकड़ी 1982 में बनी हिन्दी भाषा की फ़िल्म है। यह सुरेन्द्र मोहन द्वारा निर्देशित है और इसमें संजीव कुमार, शत्रुघ्न सिन्हा, रीना रॉय तथा रंजीता मुख्य भूमिकाओं में हैं।
संक्षेप
[संपादित करें]हरिमोहन (संजीव कुमार) अपनी पत्नी शांता (सीमा देव) और अपने छोटे बेटे सुनील के साथ रहता है। एक रात जब हरिमोहन को किसी काम से भेजा जाता है, तो उसका बॉस शांता से छेड़छाड़ करता है। लेकिन खराब मौसम होने के कारण हरिमोहन अपने बॉस को शांता का बलात्कार करने से रोकने के लिए समय से पहले लौट आता है। उसके बॉस और उसके बीच लड़ाई होती है और परिणामस्वरूप उसके बॉस की हत्या हो जाती है। हरिमोहन अपने बॉस की कार में भागने की कोशिश करता है। वह कार दुर्घटनाग्रस्त हो जाती है और माना जाता है कि उसकी मौत हो गई है। यह खबर शांता को तबाह कर देती है।
साल बीत जाते हैं और शांता को विधवा का जीवन जीने की आदत हो जाती है। सुनील (शत्रुघ्न सिन्हा) बड़ा होकर पुलिस इंस्पेक्टर बन गया है। सुनील अंडरकवर काम करता है और गोपालदास मित्तल के इकलौते बेटे बलदेव मित्तल (राकेश रोशन) से मिलता है। जब एक युवती सुनीता की हत्या होती है तो सुनील को बलदेव से उसकी मौत का संबंध साबित करने वाले सबूत मिलते हैं। तत्पश्चात वह उसे गिरफ्तार कर लेता है और उस पर हत्या का मुकदमा चलाता है। सुनील को यह नहीं पता कि गोपालदास मित्तल साखिया ही है जा कि एक कुख्यात और प्रभावशाली गैंगस्टर है। सुनील यह भी नहीं जानता कि साखिया कोई और नहीं बल्कि उसका अपना जैविक पिता है। वह अभी भी जीवित है और उसने अपराध की दुनिया अपना ली है।
मुख्य कलाकार
[संपादित करें]- संजीव कुमार — हरिमोहन / गोपालदास मित्तल
- रीना रॉय — रोज़ी
- शत्रुघन सिन्हा — इंस्पेक्टर सुनील / भोलानाथ बनारसी
- राकेश रोशन — बलदेव मित्तल
- रंजीता — सुनीता
- प्रेम चोपड़ा — डॉक्टर रमेश
- मज़हर ख़ान — रॉबर्ट
- देव कुमार — कुमार
- रमेश देव — अम्बरनाथ
- सीमा देव — शान्ता
- सिमी गरेवाल — पम्मी मित्तल
- जीवन — सूरज
- कन्हैया लाल — रघुवीर
- राज मेहरा — सुनीता के पिता
- मैक मोहन — धीरज
संगीत
[संपादित करें]सभी गीत मजरुह सुल्तानपुरी द्वारा लिखित; सारा संगीत बप्पी लहरी द्वारा रचित।
क्र॰ | शीर्षक | गायक | अवधि |
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1. | "डिस्को स्टेशन" | आशा भोंसले | 6:53 |
2. | "इक बार मिलके" | आशा भोंसले, किशोर कुमार | 6:12 |
3. | "जियो जियो प्यारे" | आशा भोंसले, किशोर कुमार | 6:39 |
4. | "कभी तुम आग हो" | आशा भोंसले, किशोर कुमार | 4:07 |
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ "पहलाज निहलानी के विवाद, 2 साल में इतनी बार -". जागरण. अभिगमन तिथि 20 अगस्त 2024.