ग्रेज़िया डेलेडा

ग्रेज़िया डेलेडा
ग्रेज़िया डेलेडा
जन्म27 सितंबर, 1875
नूरो,
इटली
मौत15 अगस्त, 1936
पेशासाहित्य
भाषाइटालियन
राष्ट्रीयताइटालियन
कालआधुनिक
विधाकहानी, उपन्यास, कविता, नाटक

हस्ताक्षर


ग्रेज़िया डेलेडा (Grazia Deledda; हिंदी में अन्य उच्चारण- ग्राजिया देलेदा)[1] [1875-1936] इटली की कथाकार, नाटककार एवं कवयित्री थी। 1926 ई० में साहित्य में नोबेल पुरस्कार विजेता।

जीवन-परिचय

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ग्रेज़िया डेलेडा का जन्म 27 सितंबर, 1875 को नूरो में हुआ था।[2] ग्रेजिया के पिता ने कानून का अध्ययन किया था, किंतु उनकी कृषि और व्यापार की ओर ही रुचि थी। वे तीन बार नूरो शहर के मेयर बने थे। कभी-कभी वह भी स्वांतःसुखाय काव्यरचना किया करते थे। उनके घर अच्छे-अच्छे किसानों, पुरोहितों, कलाकारों और धर्माचार्यों का जमघट लगा रहता था और उनके पास एक सुंदर पुस्तकालय भी था। मेयर होने के कारण उनके पास बहुत से दुःखी लोग अपनी गाथाएँ सुनाया करते थे। बचपन से ही ग्रेजिया पर इन सबका प्रभाव पड़ते रहा और इन सारे तत्वों का उनके लेखन में प्रभूत योगदान रहा है। जब तक ग्रेजिया ने विवाह नहीं किया था तब तक वह सार्डीनिया छोड़ कर और कहीं नहीं गयी। बाद में जब लोंबार्डी-निवासी मदेसानी महोदय के साथ उनका विवाह हो गया तो उन्हें अपने पति के साथ रोम जाना पड़ा, क्योंकि वहां मदेसानी महोदय को सेना विभाग में सरकारी नौकरी मिल गयी थी रोम में उनका मकान शहर से बाहर देहात में था।[3] ग्रेजिया को अपनी मातृभूमि सार्डीनिया से काफी लगाव था। सार्डीनिया (इटली) की यह उपन्यास लेखिका इटली के तानाशाह मुसोलिनी की समकालीन थी और मुसोलिनी इनका सम्मान भी करता था।[4]

रचनात्मक परिचय

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बचपन से प्राप्त विविध अनुभवों का ग्रेजिया की रचनाओं में सर्जनात्मक उपयोग हुआ है। इन्होंने अपनी सभी रचनाओं में अपनी जन्मभूमि सार्डीनिया का किसी न किसी रूप में चित्रण अवश्य किया है।[5] अपने देश के लोगों, वहाँ के रीति-रिवाजों तथा कथाओं का चित्रण इन्होंने मार्मिक और सजीव ढंग से किया है। इन्होंने जो कुछ लिखा है वह अपने मन की शांति और सुख के लिए ही मुख्यतः लिखा है। उनका मानना था कि मन की शांति पहली चीज है, पाठक और सफलता तो बाद में आती है।

पुरस्कार देते हुए स्वीडिश अकादमी के द्वारा इनके बारे में कहा गया था: आदर्शवाद द्वारा प्रेरित उनकी रचनाओं के लिए, जो अमूर्त को मूर्त में ढाल सकने वाली सफाई के साथ इनके अपने द्वीप के जीवन को चित्रित करती हैं तथा गहराई और सहानुभूति के साथ सारी मानव जाति की समस्याओं का विवेचन विश्लेषण करती हैं, इन्हें यह पुरस्कार दिया जा रहा है।[5]

प्रकाशित पुस्तकें

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  1. सार्डीनिया का फूल
  2. एनीम ऑनेस्ट
  3. हवा में सरकंडे के फूल
  4. मिस्र में उड़ान
  5. माता
  6. नास्टैल्जिया
  7. राख
  8. घृणा (नाटक)
  9. तलाक के बाद

सन्दर्भ

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  1. हिंदी विश्वकोश, खंड-6, नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी, संस्करण-1966, पृष्ठ-451.
  2. नोबेल पुरस्कार विजेता साहित्यकार, राजबहादुर सिंह, राजपाल एंड सन्ज़, नयी दिल्ली, संस्करण-2007, पृ०-108.
  3. नोबेल पुरस्कार विजेता साहित्यकार, पूर्ववत्, पृ०-109.
  4. नोबेल पुरस्कार कोश, सं०-विश्वमित्र शर्मा, राजपाल एंड सन्ज़, नयी दिल्ली, संस्करण-2002, पृ०-233.
  5. नोबेल पुरस्कार विजेताओं की 51 कहानियाँ, संपादक- सुरेंद्र तिवारी, आर्य प्रकाशन मंडल, दिल्ली, संस्करण-2013, पृ०-