लुइजी पिरांडेलो
लुइजी पिरांडेलो | |
---|---|
जन्म | 28 जून, 1867 गिरीगेंटी, सिसली |
मौत | 10 दिसंबर, 1936 रोम, इटली |
पेशा | साहित्य |
भाषा | इटालियन |
राष्ट्रीयता | इटालियन |
काल | आधुनिक |
विधा | नाटक, उपन्यास, कहानी |
हस्ताक्षर |
लुइजी पिरांडेलो (Luigi Pirandello) [1867-1936] इटली के कथाकार एवं नाटककार थे। 1934 ई० में साहित्य में नोबेल पुरस्कार विजेता।
जीवन-परिचय
[संपादित करें]लुइजी पिरांडेलो का जन्म 28 जून, 1867 को सिसली में गिरीगेण्टी के निकटवर्ती एक गाँव में हुआ था।[1] 19 वर्ष की अवस्था में वे रोम गये और 1891 तक वहीं पढ़ते रहे। 1891 ई० में वे जर्मनी गये और वहाँ के बाॅन विश्वविद्यालय से तत्वज्ञान की डिग्री प्राप्त की। जर्मनी से वापस आकर पहले-पहल उन्होंने रोम में कन्या पाठशाला के अध्यापक के रूप में काम किया और 1923 तक वहीं कार्यरत रहे। पिरांडेलो के पिता गंधक की खान के मालिक थे, परंतु 1903 ई० में बाढ़ से खान बर्बाद हो गयी और उसी के बाद से वे लेखन और अध्यापन कार्य में लगे। इसके अगले साल एक और भयंकर हादसा हुआ और उनकी पत्नी को हिस्टीरिया के दौरे पड़ने लगे और वे दौरे के समय पिरांडेलो पर बहुत बुरी तरह बरसने लगती थी। अंततः विवश होकर उन्हें पागलखाने में दाखिल करवाना पड़ा।[1] इन आर्थिक और पारिवारिक परेशानियों के बावजूद वे लेखन और प्रकाशन कार्य करते रहे।
इन्होंने मुसोलिनी से आर्थिक सहायता लेकर नेशनल आर्ट थियेटर ऑफ रोम की स्थापना की थी। लंदन और न्यूयॉर्क में इनके नाटकों के मंचन से प्रसिद्धि फैली और इन्हें पुरस्कार प्राप्त हुआ।[2]
रचनात्मक परिचय
[संपादित करें]पिरांडेलो ने 16 वर्ष की अल्पावस्था में ही काव्य-लेखन आरंभ कर दिया था। बाद में वे गद्य की ओर मुड़ गये।[3] उनकी रचनाओं में स्थानीय रंग को, जिसका मुख्य संबंध सिसली से है, प्रधानता मिली है; परंतु बाद में इन्होंने मनोवैज्ञानिक रचनाएँ लिखना आरंभ कर दिया इसका कारण इनका खुद का जीवन था, जिसमें बहुत सी अप्रिय घटनाएँ घटने लगी थीं-- इनके पिता का दिवालिया होना, पत्नी का पागलपन, पुत्रों का युद्ध में जाना, पुत्री की आत्महत्या की कोशिश और गरीबी।[3]
पिरांडेलो ने कहानियाँ और उपन्यास भी लिखे हैं, परंतु उन्हें विशेष ख्याति अपने नाटकों के लिए मिली, जिनमें उन्होंने अनेक प्रयोग किए हैं और अपने द्वीप की स्थानीय भाषा और प्रवृतियों को बहुत स्पष्ट स्वर दिया है। सिक्स कैरेक्टर्स इन सर्च ऑफ एन ऑथर उनका अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त नाटक है। उनके लेखन में जीवन की विषम परिस्थितियों और मनुष्य के दुःख का बेहद मार्मिक चित्रण हुआ है। उनमें मानव-मनोविज्ञान को समझने की गहरी अंतर्दृष्टि थी। वे मनुष्य के समूचे जीवन को एक गहन अव्यवस्था मानते थे और कला को इस अव्यवस्था को आकार देने वाला माध्यम।[4]
प्रकाशित पुस्तकें
[संपादित करें]- कहानी संग्रह-
- लव्स विदाउट लव -1894
- द आउटकास्ट -1894
- नाटक-
- सिक्स करैक्टर्स इन सर्च ऑफ एन ऑथर -1921
- तीन नाटक
- तीन और नाटक
- उपन्यास-
- लिसलुसा -1894
- द लेट मटिया पास्कल
- शूट
- पुराना और नया
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ अ आ नोबेल पुरस्कार विजेता साहित्यकार, राजबहादुर सिंह, राजपाल एंड सन्ज़, नयी दिल्ली, संस्करण-2007, पृ०-140.
- ↑ नोबेल पुरस्कार कोश, सं०-विश्वमित्र शर्मा, राजपाल एंड सन्ज़, नयी दिल्ली, संस्करण-2002, पृ०-236-237.
- ↑ अ आ नोबेल पुरस्कार विजेताओं की 51 कहानियाँ, संपादक- सुरेंद्र तिवारी, आर्य प्रकाशन मंडल, दिल्ली, संस्करण-2013, पृ०-125.
- ↑ विश्व के अमर कथाकार, संपादन एवं अनुवाद- अनुराधा महेंद्र, आधार प्रकाशन, पंचकुला हरियाणा, संस्करण-2010, पृष्ठ-137.